मजदूर की आवाज

चारों ओर से सवालों का बौछार था,अपने ही व्यवस्था से बीमार था,लेकिन रेल की पटरी से उठ खड़ा जवाब तैयार था,मैं मजदूर था साहब!अपने ही घर की छतों से दूर था,बस रोटी के लिए मजबूर था। परिस्थितियों का मारा था,पर…

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पेट पालने की मजबूरी

औरंगाबाद ट्रेन हादसे में मारे गए सभी मज़दूर भाइयों को भावभीनी श्रद्धांजलि.... गाँव मे नहीं था रोजगार का कोई भी साधन,चला गया था दूर शहर मैं लेकर अपने प्रियजन।दिन भर मजदूरी करता था पैसे चार कमाता था,हर शाम थक हार…

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