प्रेम-भाव

उसके चेहरे से जैसे झलूकता था नूर, पास बैठी थी मुझसे नहीं थी वो दूर। उसके नज़रों से जब मेरी नज़रें मिलीं, दिल में मेरे मोहब्बत की कलियाँ खिलीं। सामने बैठी थी गेसुओं को सवांरती हुई, चुनर उसकी थी हवा…

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मैं और मेरे एहसास

अभी तक जिंदा हूँ कुछ आस अभी बाकी है, थक गया हूँ फिर भी मुस्कान अभी बाकी है। कायम है दोस्ती क्योकि ईमान अभी बाकी है,मौसम जैसे बदला नहीं सच्चाई अभी बाकी है। जानता हूँ दर्द उसका जख्म अपने भी…

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मेरी इच्छा

इच्छा यही है की पंछी बनकरविचरण करूँ इस गगन मेंना कोई डर, ना कोई अभिलाषाहो मेरे मन मेंइच्छा यही है की बन जाऊंबादल और बरसू उस वसुधा पर जहाँ....जहां केवल प्यास हो, औरउस प्यास में मुझे ही पाने की इच्छा होइच्छा…

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