माँ का संदेश
भले चांहे सारा दिन सो कर बिताना भले चांहे खाना दिन मे एक बार खाना भले चांहे दिन चार भूखे विताना किसी भी तरह से समय को विताना मगर मेरे बेटे बाहर न जाना बाहर है भयानक वायरस कोरोना सारी…
भले चांहे सारा दिन सो कर बिताना भले चांहे खाना दिन मे एक बार खाना भले चांहे दिन चार भूखे विताना किसी भी तरह से समय को विताना मगर मेरे बेटे बाहर न जाना बाहर है भयानक वायरस कोरोना सारी…
हालात देश की गंभीर है अब तो संभल जाओ यारो हैं पल तो कठिन बहुत अब तो रुक जाओ यारो। जूझ रहा है हर इंसान जिंदगी अपनी संवारों जीवन बहुत ही अमूल्य है अब कीमत समझो यारों। राग द्वेष जात…
प्रभु! नरसिंह का अवतार धरो ना। प्रभु कोरोना की हार करो ना, ये कष्ट सभी के आप हरो ना, हो गए बन्द मंदिर, मस्जिद सब, कैलास पति का रूप धरो ना। सदमार्ग को चयनित करो ना, हृदय में मेरे करुणा…
कोरोना की आफत आई। सब को फिर से घर ले आई। चले गए थे बहुत दूर तक, अपने घर से हम सब भाई। भूल गए थे रिश्ते नाते, अपनापन और बोल भलाई। फिर लौटेगी रिश्तो में अब, पहले वाली वही…
बडे़ दुर्भाग्य की बात है कि इस महामारी के दौर में भी कई व्यवसायी आम लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकरअधिक से अधिक मुनाफा कमाने में लगे हैं। इस पर मेरी एक त्वरित नज़्म- इस इस मुश्किल वक़्त में वो…
जिसे है देश प्यारा मैं उसे पैगाम लिखता हूं, बचा लो देश को अपने ये विनती आज करता हूं कोरोना को हराना है सभी को साथ मिलकर के कोरोना से लडोगे सब ये मैं विश्वास करता हूँ कई विपदाएं झेली…
वक़्त संहार का हैं पापियों का विनाश हैं, क्यों दुआ करु की सब रुक जाए, किये हैं जो दुष्कर्म मानव भी तो उनका फल पाए। जी रहे थे जो अब तक अपने वक़्त पर घमंड कर। उनको भी तो मृत्यु…
खुदा से पूछता हूं यह सब क्या माजरा कहे जाते हो तुम करुणासागर पर लोगों के भयंकर दुख देखकर तू क्यों नहीं पिघलता गरीब के पैरों के छाले देखकर तेरा पाषाण हृदय क्यों नहीं धड़कता लाखों के प्राण है तेरे…
पापा मेरी सुन लो ना बाहर घर से न जाना चाहे कुछ भी न लाना बाहर बैठा है कोरोना। हमको अंदर ही रहना हाथ रगड़कर के धोना नियमों का पालन करना बाहर बैठा है कोरोना। बच्चों बड़ों की सुध लेना…
अनेकता में एकता, हिन्द की विशेषता, यही तो भारत वर्ष है.याद करो इतिहास का पन्ना, कर्मवती ने गुहारा था, हुमायूँ ने सेना लेकर बहन की राखी का कर्ज उबारा था.मोहन को भजते है रसखान, रहीम को है भारतीय संस्कृति का भान.अब्दुल…
आज इस कोरोना के संकट में लोग साम्प्रदायिकता फैलाकर, जातिवाद और धर्मवाद के नाम लोगों को लड़वाना चाहते हैं, उससे लोगों को सावधान करती एक नज़्म-ये कैसा आलम है, यह क्या हो रहा है। जिंदा आदमी, एक बुत को रो रहा…
कि जब ये लोक डाउन ख़त्म हो जाएगा तो मैं तुम्हें कहीं दूर लेकर जाना चाहता हुँ।यह फासले जो हमारे दरमियां आ गए हैं, उन्हें मिटाना चाहता हूँ।।तुम्हारी आंखों में देख कर फिर से एक बार डूब जाना चाहता हूँ।मेरे…
कोरोना वायरस का करो ना तुम फैलावनफ़रत का ना जलाओ तुम अलावमाना कि गहन अधंकार है हर फलक परआज भारत मां रो रही है बिलख करनवचेतना का संचार कर जला आशा का पुंजहठधर्मिता छोड़ कर हरित कर दे यह कुंजअमर्ष…
इसका न वैक्सीन है न दवाई है,धरती पर ये कैसी बीमारी आई है।विश्व की महाशक्तियों को भी इसने,पलक झपकते खासा धूल चटाई है।इस अदृश्य खूंखार विषाणु के आगे,परमाणु बमों ने भी पटखनी खाई है।ना मिलो इक दूसरे से कुछ दिनों…
मैं कोरोना हूँ, बेशक थोड़ा डरावना हूँ विष लिए फिरता हूँ अपना कर्त्तव्य करता हूँ मैं एक सा रहता हूँ रूप नहीं बदलता रंग नहीं बदलता तुम इंसान हो, बेशक अद्भुत हो ज्ञान का भंडार हो मगर अब तुम्हें पहचानना…
वाह रे, कोरोना। तूने तो गजब कर डाला, छोटी सोच और अहंकार को, तूने चूर-चूर कर डाला।। वाह रे, कोरोना। पैसो से खरीदने चले थे दुनिया, ऐसे नामचीन पड़े है होम आईसोलोशन में, तूने तो पैसो को भी, धूल-धूल कर…
कोरोना के कहर से पूरी दुनिया परेशान हैं ! भांति भांति के लोग दे रहे अपना ज्ञान है !! इस धरती पर आई है ये कैसी बीमारी ! मानव सभ्यता पर ये संकट है अति भारी !! संकट के इस…
वैश्विक मचा हुआ है त्राहिमाम मानसिक रूप से न है आराम फिर भी कुछ लोगों को आ रही ख़ूब हँसी जबकि इस भंयकर बीमारी ने कितने परिवारों की छीनी है ख़ुशी कुछ लोग मज़ाक कर रहे हैं पर नहीं समझ…
उनकी मेहनत के बिना ये उन्नत शहर नहीं होते, वो नहीं बनाते पसीने से तो हमारे घर नहीं होते। वो आज सड़कों पर दर- दर भटक रहे हैं यहाँ बहुत दुःखद है मगर सच है उनके घर नहीं होते। भौतिकता…
इक दिन हार जाएगी ये बीमारी हवाओं का ये डर अब नहीं रहेगा। खौफ का असर कुछ दिन और हैं शहर सहमा हुआ अब नहीं रहेगा। हक़ीक़त जान जाएगा बीमारी की हर इंसान बेख़बर अब नहीं रहेगा। बंदिशें जल्द खत्म…