पलायन- घर जाने के लिए
आज वीरान सड़कों पर भीड़ का रेला देखासिर पर सामानों की गठरी हाथ मे बच्चों को देखा। लोग पलायन कर रहे एक जगह से दूसरी जगह जा रहेअपने घर जाने की जिद ठान रखी है इन्होंने। भूखे प्यासी जनता भटक…
आज वीरान सड़कों पर भीड़ का रेला देखासिर पर सामानों की गठरी हाथ मे बच्चों को देखा। लोग पलायन कर रहे एक जगह से दूसरी जगह जा रहेअपने घर जाने की जिद ठान रखी है इन्होंने। भूखे प्यासी जनता भटक…
हो महान अब सबको दिखलाओविश्व गुरू वाला रूप बतलाओ।हर महाशक्ति हमसे हारी थीमहान भारत की हर नारी थी।कोरोना हमसे दूर ही रहनायहां गंगा का निर्मल नीर हैं बहता।मिलजुल कर हम साथ हैं रहतेजाति धर्म में भेद ना करते।हैं महान विश्व…
संयम का यह वक्त है, देश करे पुकार अब तो जनता मान ले, वक्त की ये धार जीवन में संयम बड़ा, होता महत्वपूर्ण अंग अनुशासन के बिना, चले न देश, न जीवन आज जरूरत संयम की, बात ये लो मान…
कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूर की पलायन करने की हृदय विदारक व्यथा को व्यक्त करने की एक कोशिश कलमकार सूर्यदीप कुशवाहा ने की है। मैं गरीब हूं बदनसीब हूं लॉक डाउन है बच्चे रो रहे हैं…
पलायन इन्सानों का नहीं इंसानियत की हैजंग लगी रहनुमाई और सड़े सियासत की है।अब तो बात हद से भी है आगे निकल चुकीअब कहाँ यारों काबू में सब ज़्म्हुरियत की है।दोषारोपण के खेल में हैं माहिरों की जमातेंकिसको कितनी चिंता…
लक्ष्मण रेखा खींच ली पर किया क्या इसका अनुमान. है नहीं आसान यह है नहीं आसान. नहीं माना माता जानकी ने पार की लक्ष्मण रेखा. देखा क्या हाल हुआ, रावण ने अशोक वाटिका में रखा. रोते रोते राम लखन का…
कोरोना महामारी बचिए और जागरूक रहिए। भारत इसे जरूर हराएगा। यूं तो देखे थे सभी, इस संसार में महामारी बहुत हर दौर में दौरों का गुज़र है, मौत की सवारी बहुत नहीं दवा है इस सितम की, ख़ुद रहो महफूज़…
हर हिंदुस्तानी का जो अभी फर्ज़ है, मां भारती का हम सब कर्ज है। घर में रहे सब यही हमारा अर्ज़ है, कॉरोना को हराने का यही मर्ज है।। करे इक्कीस दिन का तप यही राष्ट्रधर्म है, अपनों के लिए…
गर बाहर नहीं जा सकते, तो अन्दर जाओ। खुद को ढूंढने में, खो जाओ। रफ़्तार को रोक कर, थोड़ा थम जाओ। मानव तुमने ही, की हैं ये हलचल, अब सम्हल जाओ। सोचो क्या भूल हुई, अपनी गलती फिर ना दोहराव।…
संदिग्ध है ये वायरस, मचा रक्खा इसने कोहराम, दीन दुखियों की देह पर बरसाये कोड़े तमाम। जान जोखिम डालकर, करें सर्वस्व त्याग महान, धिक्कार उन मालिकों को ख़ाली करायें जो मकान। भय व्याप्त हर ह्रदय में, संशय में जिए इंसान,…
है हावी कोरोना जग पर, निपटेंगे हुशियारी से । जनहित के नियमों का पालन, करलें जिम्मेदारी से । रोग भयंकर अरु निदान के, कहीं लगे आसार नहीं । दूरी सबसे हुई जरूरी, दूजा कुछ उपचार नहीं । इस संकट से…
कभी कभी किताबों में हम जिंदगी ढूँढ लेते हैं. कभी टीवी पर हम रामायण, महाभारत देख लेते हैं. तेरी याद आते ही कोई गीत गुनगुना लेते हैं. लाकडाउन में भी खुशी ढूँढ लेते हैं. पूरे परिवार संग अब जिन्दगी का…
छलकना" और "छलछलाना" शब्द से सभी परिचित होंगे है ना! "जल" शब्द से जुड़ा हुआ शब्द लगता है विचार करने में लग गए होंगे ना! जैसे "छलकता हुआ जल" व "छलछलाता हुआ पानी" इत्यादि इत्यादि बचपन से तो यही देखा…
संपूर्ण मानवता के अस्तित्व पर खतरा है, प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ भी तो तगड़ा है। हे मानव! अब घर बैठे कुछ दिन विराम करे, स्वच्छता के लिए लापरवाही पर लगाम करे। पर्यावरण धूल और धूँआ से मुक्त हो जाये, भागदौड़…
कोरोना देख हैरान हो गए शहर शहर वीरान हो गए जमा हो गए भागते हुए लोग आशियां सभी परेशान हो गए खामोश है परिंदे भी अब शज़र सभी बे गान हो गए फूलों की महक भी चली गई भोरें सभी…
बार-बार साबुन से तुम, अपने हाथ को धोना। अब चहूँ ओर फैल गया है, ये जालिम कोरोना।। ना ये फैला मुर्गे से, और ना ये फैला मीन से। ये जालिम तो जन्म लिया है, मेरे पड़ोसी चीन से।। ये बीमारी…
कभी भीड़ से भरा शहर था मेरा, यहां शोर के संग होता था सवेरा, फिर आया एक वायरस कोरोना, और डाल दिया उस ने यहां डेरा। इस वायरस ने पूरे शहर को घेरा, ज्यों शिकार पर निकला है बघेरा, गिरफ्त…
एक ओर, कोरोना को हराना है घर से बाहर, ना जाना है नियम हमारे हित, हेतु है पर, बहुत कम जन मान रहे जीवन को बचाना, प्राथमिकता है। पर, दुविधा यह भी है मजूर वर्ग, क्या खाऐंगे ? रोज जो…
अपनी जिम्मेदारी समझें, आपस में नहीं कोई उलझें।कोरोना से लड़ना है तो, घर में रहें सभी जन अपने। वक़्त है नाज़ुक सयंम रखें, राजनीति में अभी ना उलझें।बड़े बड़े देशों को देखकर, कुछ तो उनसे भी हम सीखें। अपनी जिम्मेदारी…
मन सहम सा जाता है देख के सारे देश का हाल, चाइना, इटली, स्पेन, जर्मनी, सब पर है इसका प्रहार, स्वास्थ्य विभाग थे इनके खास, फिर भी है इनकी स्थिति खराब, मन सहम सा जाता है, देख कर अपने देश…