रंग-ए-उल्फ़त

अच्छी है रस्म-ओ-रह रंगों की गुल की गुलाल की उमंगों की हर सम्त है बज़्म-ए-तरब जैसे गूँज हो नए तरंगों की यार अग़्यार की टोली में सदा है मुतरिब के आहंगो की घोल दे फ़ज़ा में रंग-ए-उल्फ़त ये साख है…

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